Ineligible for Reservation After Conversion : धर्मांतरण और आरक्षण के लाभ पर मद्रास हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा, “एक व्यक्ति जिसने धर्मांतरण किया है, वह अपने पिछले धर्म में आरक्षण का दावा नहीं कर सकता है।”
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि इसका अपवाद उन मामलों में होगा जहां राज्य सरकार ने ऐसी मंजूरी दी है। जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन की खंडपीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई।
आख़िर मामला क्या है?
याचिकाकर्ता हिंदू धर्म से संबंधित एक पिछड़े वर्ग का नागरिक था। हालांकि, उन्होंने 2008 में इस्लाम कबूल कर लिया था। इसके बाद, 2019 में, याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु लोक सेवा आयोग (टीपीएससी) की मुख्य परीक्षा पास की।
हालांकि, टीपीएससी ने याचिकाकर्ता को पिछड़ा वर्ग आरक्षण का लाभ देने से इनकार कर दिया। साथ ही समूह II सिविल सेवा परीक्षा में याचिकाकर्ताओं को सामान्य श्रेणी में माना गया था।
मद्रास उच्च न्यायालय ने वास्तव में क्या कहा?
मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि, क्या धर्मांतरित व्यक्ति धर्मांतरण के बाद भी अपने पिछले धर्म में आरक्षण का लाभ उठा सकता है, इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।
साथ ही, मद्रास उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि निर्णय सर्वोच्च न्यायालय का था।